भारत सरकार ने 29 मई 1978 को द्वितीय प्रेस आयोग का गठन किया। सरकार ने प्रेस आयोग का गठन श्रमजीवी पत्रकारों एवं प्रेस की स्वतंत्रा से संबंधित विषयों का गहनता से अध्ययन करने के उद्देश्य से प्रेस आयोग का गठन किया था। आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार ने जस्टिस पी के गोस्वामी की अध्यक्षता में द्वितीय प्रेस आयोग का गठन किया। लेकिन शीघ्र ही जनता पार्टी की सरकार गिर गई और 7वें लोकसभा चुनावों में सन 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार बनने के बाद आयोग ने इस्तीफा दे दिया और इसका पुनः गठन किया गया। इस बार जस्टिस के के मैथ्यू को इसका अध्यक्ष बनाया गया। इस प्रेस आयोग ने सन 1982 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। अध्यक्ष के अतिरिक्त आयोग के 10 सदस्य थे।
द्वितीय प्रेस आयोग की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार थी-
1. सरकार एवं प्रेस के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए जाने के प्रयास किए जाने चाहिएं।
2. समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में विज्ञापन एवं समाचारों के अनुपात को निर्धारित किया जाना चाहिए।
3. प्रेस सूचना ब्यूरो को पुर्नस्थापित किया जाना चाहिए।
4. संसद व विधानसभा के विशेषाधिकार के स्थान के स्थान पर संसद तथा विधानसभा एवं उनके सदस्यों के अधिकार तथा सुविधाएं शब्द का प्रयोग किया जाए।
5. पृष्ठानुसार मूल्य नियम को कार्यान्वित किया जाए।
6. पत्रकार को अपने स्त्रोत का उल्लेख सामान्य परिस्थितियों में नहीं करना चाहिए।
7. किसी भी विदेश नीति के बदलने पर समाचार पत्र सरकारी रूप से भिन्न मत रखने को स्वतंत्र हो।
8. आयोग ने भारतीय प्रेस जगत में गहन विकास रिपोर्टिंग प्रवृति पर भी विचार किया।
9. प्रेस को रचनात्मक आलोचना का कार्य करना चाहिए।
10. लघु, व मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों हेतू समाचार पत्र विकास आयोग का गठन किया जाए।
11. पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित विज्ञापनों में नारी की छवि के दुरूपयोग पर रोक लगाई जाए।
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