विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए बहु-माध्यम विज्ञापन तथा प्रचार का कार्यभार उठाने वाली एकमात्र नोडल एजेंसी है। कुछ स्वायत्त संस्थाएं भी अपने विज्ञापन विदृप्रनि के माध्यम से देती हैं। सर्विस एजेंसी के रूप में, यह केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की ओर से जमीनी स्तर पर सम्प्रेषण करने का प्रयास करता है।
डीएवीपी के उद्भव के संकेत द्वितीय विश्व युद्ध के समय में देखे जा सकते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ होने के तुरंत बाद, तत्कालीन भारत सरकार ने एक मुखय प्रैस सलाहकार को नियुक्त किया। अन्य कार्यों के अलावा, विज्ञापन भी मुखय प्रेस सलाहकार की जिम्मेदारी थी। जून 1941 में मुखय प्रेस सलाहकार के अधीन विज्ञापन परामर्शदाता के पद का सर्जन किया गया। यहां से विदृप्रनि का उद्भव हुआ। 1 मार्च 1942 को विज्ञापन परामर्शदाता कार्यालय सूचना और प्रसारण विभाग की विज्ञापन शाखा बन गया। इस विज्ञापन इकाई के कार्यक्षेत्र, कार्यप्रणाली तथा गतिविधियों को विस्तार से देखते हुए 1 अक्तूबर, 1955 को इसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का संबद्ध कार्यालय घोषित किया गया। तथा इस कार्यालय को विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय का नाम दिया गया। बाद में 4 अप्रैल 1959 को महानिदेशकध्निदेशक, विदृप्रनि को विभाग प्रमुचर घोषित किया गया। इस घोषणा के परिणाम स्वरूप डीएवीपी को वित्तीय तथा प्रशासनिक शक्तियां सौंप दी गई।
वर्षों से डीएवीपी सामाजिक परिवर्तन तथा आर्थिक विकास के एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता रहा है। सामाजिक-आर्थिक विषयवस्तुओं पर जन-साधारण में जागरूकता पैदा करने, विकासात्मक गतिविधियों में उनकी भागीदारी तथा गरीबी व सामयिक कुप्रथाओं के उन्मूलन के लिए डीएवीपी सहायक की भूमिका निभाता रहा है।
- केंद्र सरकार के लिए बहु-माध्यम विज्ञापन एजेंसी का कार्य करना।
- केंद्र सरकार के मंत्रालयोंध्विभागों की प्रचार संबंधी आवश्यकताओं, जैसे मीडिया इनपुट का उत्पादन तथा संदेशध्सूचना के प्रचार को पूरा करने के लिए सर्विस एजेंसी के रूप में कार्य करना।
- केंद्र सरकार के विभागों को एम्प्रेक्षण कार्यनीतिध्मीडिया प्लान तैयार करने में सहायता करना तथा इनको मल्टी-मीडिया समर्थन प्रदान करके जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने में सहायता करना
सम्प्रेषण के लिए प्रयोग किए जाने वाले माध्यम –
- विज्ञापन – प्रेस विज्ञापनों को जारी करना।
- प्रदर्शनियां – प्रदर्शनियां लगाना।
- बाह्य प्रचार – होर्डिंग, क्योस्क, बस पैनल, भित्ति-चित्र, सिनेमा स्लाइड, बैनर इत्यादि को प्रदर्शित करना।
- मुद्रित प्रचार – बुकलेट, फोल्डर, पोस्टर, लीफलेट, कैलेंडर, डायरी इत्यादि।
- श्रव्य दृश्य प्रचार – स्पॉट्सध्क्वीकीस, जिंगल्स, प्रायोजित कार्यक्रम, लघु फिल्में इत्यादि।
- प्रचार सामग्री का प्रेषण – प्रचार सामग्री का वितरण।
मुखयालय में डीएवीपी के मुखय ढांचे में शामिल हैं –
- अभियान इकाई – प्रचार अभियानों के समन्वय के लिए
- विज्ञापन इकाई – प्रेस विज्ञापनों को जारी करने के लिए
- बाह्य प्रचार इकाई – बाह्य प्रचार सामग्री को प्रदर्शित करने के लिए
- मुद्रित प्रचार इकाई – प्रचार सामग्री के मुद्रण के लिए
- प्रदर्शनी इकाई – प्रदर्शनियां लगाने के लिए
- मास-मेलिंग इकाई – प्रचार सामग्री का वितरण करने के लिए
- श्रव्य-दृश्य इकाई इकाई – श्रृव्यध्दृश्य कार्यक्रमों के उत्पादन के लिए
- डी.टी.पी. सुविधा सहित स्टूडियो- डिजाइनिंग के लिए
- कॉपी इकाई – कॉपी बनाने के लिए
- समन्वय इकाई – संसद प्रश्नों, वी.आई.पी. संदर्भों, संसदीय समितियों के समन्वय के लिए
- इलैक्ट्रानिक डाटा प्रोसेसिंग सेंटर- बिलों की प्रोसेसिंग के लिए
- लेखा इकाई
- प्रशासन इकाई
देशभर में डीएवीपी के कार्यालयों का नेटवर्क फैला हुआ है। विदृप्रनि के – - बेंगलुरु तथा गुवाहाटी क्षेत्र में निदेशालय की गतिविधियों का समन्वय करने के लिए बेंगलुरु तथा गुवाहाटी में दो क्षेत्रीय कार्यालय स्थित हैं।
- कोलाकाता तथा चेन्नई में दो क्षेत्रीय वितरण केंद्र हैं जो क्रमशः पूर्वी तथा दक्षिणी क्षेत्रों में प्रचार सामग्री के वितरण को देखते हैं।
- 35 क्षेत्रीय प्रदर्शनी इकाइयां जिसमें सात चल प्रदर्शनी वाहन, सात परिवार कल्याण इकाइयां तथा 21 सामान्य क्षेत्रीय प्रदर्शनी इकाइयां शामिल हैं
- चेन्नई में क्षेत्रीय प्रदर्शनी वर्कशाप तथा
- गुवाहाटी में प्रदर्शनी किट उत्पादन केंद्र जो मुखयालय के प्रदर्शनी प्रभाग को प्रदर्शनी डिजाइन करने तथा तैयार करने में सहायता करता है।
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